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शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई-सी तुम ज़िन्दगी ह

शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई-सी तुम
ज़िन्दगी है धूप, तो मदमस्त पुरवाई-सी तुम

आज मैं बारिश मे जब भीगा तो तुम ज़ाहिर हुईं
जाने कब से रह रही थी मुझमें अंगड़ाई-सी तुम

चाहे महफ़िल में रहूं चाहे अकेले में रहूं
गूंजती रहती हो मुझमें शोख शहनाई-सी तुम

शोर की इस भीड़ में ख़ामोश तन्हाई-सी तुम ज़िन्दगी है धूप, तो मदमस्त पुरवाई-सी तुम आज मैं बारिश मे जब भीगा तो तुम ज़ाहिर हुईं जाने कब से रह रही थी मुझमें अंगड़ाई-सी तुम चाहे महफ़िल में रहूं चाहे अकेले में रहूं गूंजती रहती हो मुझमें शोख शहनाई-सी तुम

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