जो थे नहीं हम अब वो भी हमे बनाने लगे है, अपनों के ही अपने अब गैरो को हमारी हर गलतियाँ गिनवाने लगे है, एक शख़्स को नज़रो से जितना गिराया जा सकता था उसको सबकी नज़रों में उतना गिराने लगे है, अब उठा कर आँख उससे कैसे नज़र वो चेहरे मिलायेंगे जिस शख़्स के किरदार को वो अपनी महफ़िल का किस्सा बनाने लगे है.! ~ गरिमा प्रसाद 🥀 ©Garima Prasad #life #garimaprasad #kavita #hindi