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प्रेम प्रेम  कहते  रहे, प्रेम कोई  करता नहीं प्र

प्रेम प्रेम  कहते  रहे,  प्रेम  कोई  करता नहीं
प्रेम  के  नाम  पर ना  दूजो  को  झूठलाइए
आज का हैं प्रेम कैसा, रोज रोज नया होता
गुजरे  जमाने  वाला  प्रेम  करके  दिखाइए

काजल  से  मृगनैनी, चांद के से  रूप जैसी
दूध  जैसी  राधा  को, कृष्ण सावरे भा  गए
मंद  मंद  मुस्काने,  धनुष  पर  प्रत्यंचा ताने
रामजी जानकी को अयोध्या लेकर आ गए

प्रेम राम सीता सा या  राधे कृष्ण जैसा यहां
प्रेम  को  समझिए  और  उसमे  डूब  जाइए
चौदह वर्ष दूर रहे, तनिक  प्रेम ना कम हुआ
लक्ष्मण उर्मिल सा कोई प्रेम करके दिखाइए

©गंगवार रामवीर #ramveer
प्रेम प्रेम  कहते  रहे,  प्रेम  कोई  करता नहीं
प्रेम  के  नाम  पर ना  दूजो  को  झूठलाइए
आज का हैं प्रेम कैसा, रोज रोज नया होता
गुजरे  जमाने  वाला  प्रेम  करके  दिखाइए

काजल  से  मृगनैनी, चांद के से  रूप जैसी
दूध  जैसी  राधा  को, कृष्ण सावरे भा  गए
मंद  मंद  मुस्काने,  धनुष  पर  प्रत्यंचा ताने
रामजी जानकी को अयोध्या लेकर आ गए

प्रेम राम सीता सा या  राधे कृष्ण जैसा यहां
प्रेम  को  समझिए  और  उसमे  डूब  जाइए
चौदह वर्ष दूर रहे, तनिक  प्रेम ना कम हुआ
लक्ष्मण उर्मिल सा कोई प्रेम करके दिखाइए

©गंगवार रामवीर #ramveer