क्षमा सीखनी है तो,उन फूलों से सीखो, जो उन हाथों को भी ,अपनी महक दे जाता है, जिन हाथों ने उसे ,शाखा से अलग किया हैं. क्षमा का अर्थ जानना है तो, तो फलों से भरे वृक्ष से पूछो, जो पत्थर लगने के बाद भी,मारने वाले को मीठे फल देता है, क्षमा का अर्थ जानना चाहो,तो हिना से पूछो, पत्थर पर खुद को पिसवानें के बाद उन हाथों को रंग कर खुद खुशनसीब कहती है, क्षमा तो इक खुशी है,इत्र जैसी, जो फूलों को रौंदने पर भी,महक देती है, क्षमा जानना है, तो जलते दीपक से सीखो,वो खुद जलाता है ,जलने पर , दूसरों की राहों को रौशनी देता है, ©Chander Kohli #roshni