हे ईश्वर, कई बार संशय तेरे होने पे हो जाता है, जब सारा प्रयास, एकदम से धूमिल हो जाता है!! जब तू पालक है, इस सृष्टि में कण कण का, फिर क्यों कोई एकाएक, असहाय सा हो जाता है!! विपत्तियों का आना भी, हाँ, ज़रूरी है जीवन मे, तेरी ही मर्ज़ी होगी, अबोध मनुष्य इतना तो जानता है!! कोई सीमा तो हो, टूटने, बिखरने और फिर सवँरने की, काश, थोड़ी समझ दी होती, आखिर तू क्या चाहता है!! ©Bhushan Rao...✍️ #nojotowriters✍️ 𝓓𝓮𝓮𝓹 𝔀𝓸𝓻𝓭𝓼.... Amita Tiwari 🎤✍️🎸