वो सर्द मौसम, वो ठंडी हवाएं, वो बादलों से, छन के आती, तन को सुहाती, मन को लुभाती, गुनगुनी सी धुप, एक तेरा साथ, आज भी है याद, तेरे हाथों की छुअन, तेरे बातों का सुकून, नये शहर में, अनजान राहों पे, फुर्सत के वो पल, आते हैं जब ख़्यालों में, तो गुदगुदा जाते हैं, इस तन को, किसी सर्द दोपहर की गुनगुनी धुप से। -राकेश(साफिर) 19dec2018