राज़ गहरे होते हैं दिल में सबके, पर उन्हें खोलता है कौन ? बोलते तो सब हैं, पर गलत को गलत बोलता है कौन? तोहमतें हज़ार लगाते हैं दूसरों पर, पर खुद को तराज़ू में तोलता है कौन? खुद को देखो