ग़ज़ल २१२२ २१२२ २१२ इश़्क मरहम आप बनने दो इसे। हैं वफा कायम सँवरने दो इसे ।। चाँदनी सा नूर निकला राह से , दिल धड़कता है धड़कने दो इसे।। मजहबी दीवार आँगन मे खड़ी, आज गिरती है तो गिरने दो इसे।। क्यूँ हुये वो बेरहम ना जानती , बस मुहब्बत आप करने दो इसे ।। जिदंगी तुम से शिकायत ये रही , वक्त बदले तो बदलने दो इसे ।। ना तलब बुझती सनम मधुमास में , इक नया सा राग सुनने दो इसे ।। क्यूँ भला अब ये अपेक्षा चाहती , प्रेम -पथ पे साथ बढ़ने दो इसे ।। अपेक्षा व्यास भीलवाड़ा राज. #Meri_shayri_meri_pehchan #nojotaquotes #Nojotolover #apekshavyas