एक तारीख़ तो मुकर्रर कर एक फ़रमान तो निकाल ज़रा, वक्त का सब्र अब नहीं होता मुझको बेवक्त मार डाल ज़रा । थक गया खुद से पूछकर अब तक क्या कमी रह गयी वफ़ाओं में , क्यों ख़ता तक से रूबरू न किया पूँछ खु़द से भी ये सवाल ज़रा। #tushar #blaze #blaze #ek tareekh toh mukarrar kar