मेरी कलम का भी जवाब नहीं लिखुँ तुझे तो,होते है ख़्वाब सही विरहा की आग में जलते हुए अल्फ़ाज़ शीतल चांदनी रात सी ,मगर अजनबी लिखुँ तुझे तो होते है,ख़्वाब सही मेरी कलम #पारस #चाँद #ख़्वाब #रातें