उस के शहर में अब नुमाइश न रही..! मिलने की कोई अब गुंजाइश न रही..!! फीके पड़ने लगे है आसमां के परदे..! जी भर देखने की ख़्वाहिश न रही..!! वहम था कि दुआओं में वफ़ा मिलेगी..! खुदा तुझसे कोई फरमाइश न रही..!! बिछड़ने के डर से फासले करता रहा..! खाई गहरी इतनी की पैमाइश न रही..!! मेरे दुश्मन भी हमदर्दी जताने लगे..! देख कर हश्र मेरा साज़िश न रही..!! हम शनावर कहां इतने कमाल के थे..! छोड़कर हाथ मेरा नवाज़िश ना रही..!! मशहूर किया कुछ इस तरह से "राज..! भरी महफिल में भी सताइश न रही..!! ©Darshan Raj #a #5LinePoetry #rekhta #darshan #गजल #gazal #ग़ज़ल #nazm #Nojoto #urdu I.A.S dreamerneha 🌟 Reena Sharma "मंजुलाहृदय" Shilpa yadav