#OpenPoetry ♡कलम और जुबां♡ लोगो की परवाह तु मत कर वीर तु बढता चल कलम और जुबां की ताकत पे तु रह अटल जबतलक ये धरा है और है जबतलक गगन रोक न पायेगा तुझको कोई चाहे करले जितना यतन वाचन लेखन करते रहे यही कर रहा हू निवेदन आपके लेखन से बहुतों कर रहे है नवसृजन चेहरा के किताब की यह जो परिवार है आप जैसों के बिना भैया ये सब।बेकार है कृपा कर विचलित न हो लिखते रहे दिखते रहे हम साथ है आपके बस यु ही कलम घिसते रहे ।।