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जुकना, रुकना, थकना, शेड दिया है, हमने, तेरी गर्म ह

जुकना, रुकना, थकना, शेड दिया है, हमने,
तेरी गर्म हवाओ का रुख, तेरी तरफ ही मोड़ दिया है, हमने। 
तेरी फितरत है, तू डरने बाले को डरता है, ऐ बुजदिल, 
तेरी बनाई डर की दीवार को वी तोड़ दिया है, हमने। 
सुना है तेरी जड़े है बहुत पुरानी, झूठ की, 
लेकिन तेरे इस झूठ पर, जकीन करना, शोड दिया है, हमने।
 जुकना, रुकना, थकना, शेड दिया है, हमने, Laxmi Kumari Jagadish Kumawat Parmjit Kaur RAVI KANT SAHU Dr.Imran Hassan Barbhuiya

जुकना, रुकना, थकना, शेड दिया है, हमने, तेरी गर्म हवाओ का रुख, तेरी तरफ ही मोड़ दिया है, हमने। तेरी फितरत है, तू डरने बाले को डरता है, ऐ बुजदिल, तेरी बनाई डर की दीवार को वी तोड़ दिया है, हमने। सुना है तेरी जड़े है बहुत पुरानी, झूठ की, लेकिन तेरे इस झूठ पर, जकीन करना, शोड दिया है, हमने। जुकना, रुकना, थकना, शेड दिया है, हमने, @Laxmi Kumari @Jagadish Kumawat @Parmjit Kaur RAVI KANT SAHU Dr.Imran Hassan Barbhuiya #poem

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