ये जो शाम ढल रही हैं.... आज कुछ खास होने की वजह दिए जा रही हैं.... ये नीला आसमान आज मोती की तरह चमक रही हैं... ये जो ठडीँ हवा चल रही हैं... आज एक महक की चादर ओढे जा रही हैं.... ये चिडिये अपने आवाजों से नज्में गुनगुना रही हैं... ये सरसराती हुई टहनियाँ, पत्तियाँ अपने होने की वजह बयान कर रही हैं.... ये जो शाम ढल रही हैं.... आज कुछ खास होने की वजह दिए जा रही हैं... शाम