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सजाये इश्क़ तो ना ही सल्तनत के कानून में है नाही उ


सजाये इश्क़ तो ना ही सल्तनत के कानून में है नाही उस खुदा के दरबार में।।
इसीलिए बेवफाई के चर्चे है दिलो में और ईमानदारी बिकती है बाज़ारों में।।

Full poem in caption.  बड़ी ही बेदर्दी से वो आके मुझसे टकराई।।
लगा जैसे कहि दिल तोड कर हो आई।।

उसकी भीगी आंखे पर पलको का यु जुकना।।
मानो जैसे चांद का तारो के साथ जमीन पर उतरना।।

बिन कुछ कहे पलट गई वो ऐसे ।।
बिना पानी के तड़पती मछली हो जैसे ।।

सजाये इश्क़ तो ना ही सल्तनत के कानून में है नाही उस खुदा के दरबार में।।
इसीलिए बेवफाई के चर्चे है दिलो में और ईमानदारी बिकती है बाज़ारों में।।

Full poem in caption.  बड़ी ही बेदर्दी से वो आके मुझसे टकराई।।
लगा जैसे कहि दिल तोड कर हो आई।।

उसकी भीगी आंखे पर पलको का यु जुकना।।
मानो जैसे चांद का तारो के साथ जमीन पर उतरना।।

बिन कुछ कहे पलट गई वो ऐसे ।।
बिना पानी के तड़पती मछली हो जैसे ।।
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Umang Parmar

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