सीधा-साधा, भोला-भाला अक्ल से थोड़ा कच्चा हूँ, ऐसा भी हूँ, वैसा भी हूँ, पर माँ अब भी तेरा बच्चा हूँ l बचपन की वो दूध मलाई और खिलाने की पकड़म-पकड़ाई, आज मेरे को भूख नहीं माँ फिर भी रोटी चूर तू लाई ? बचपन के वो खेल खिलौने दिन भी क्या थे वो सुहाने, वैसे तो नींद बहुत तेज़ है मुझे आई पर माँ, अभी तूने लोरी नहीं सुनाई l काला टीका, काला धागा आँखों में भी काजल काला बुरी नज़र कभी लग ना पाए ऐसे माँ तूने मुझको पाला l साठ बरस की इस उम्र में आज तेरी याद है आई अब आगे तेरे लिए क्या लिखूं माँ ये कलम भी अब तक समझ ना पाई l Dedicated to you maa सीधा-साधा, भोला-भाला अक्ल से थोड़ा कच्चा हूँ, ऐसा भी हूँ, वैसा भी हूँ, पर माँ अब भी तेरा बच्चा हूँ l बचपन की वो दूध मलाई