चंद रस्मो-रिवाजों का लिबास, मुझ पर जचना भी तो चाहीए गर जिदां है विसवास तेरा तो जिदां दिखना भी तो चाहीए चल माना बाकी है शरम तुझमे तो शरमिदां दिखना भी तो चाहीए गर जिदां है तू मुझमे तो जिदां दिखना भी तो चाहीए jinda dikhna v to chaiye