"तीज " प्रतीक हैं मिलन का "गौरी" से "शिव" का "अम्बर "से "धरती "का जब "रिमझिम बारिश" की बूँदें धरती के आँचल पर गिरती हैं तब नवरूप लिए धरती अपना "सोलह" श्रृंगार करती है ""औढ़ ""लेती हैं "हरियाली" रूपी हरी चादर और सम्पूर्ण वातावरण को "मनमोहक" करती हैं,कभी पायल की छम -छम तो कभी "चूड़ियों" की खन -खन से गुंज उठता है घर "आँगन "और मेहंदी के रंग से पिया का प्यार और भी गहरा हो जाता हैं और इसी रीत को "तीज "कहा जाता है sarika #TeejFestival