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"पर चर्चा और हम..............." (एक छोटा सा निबंध.

"पर चर्चा और हम..............."
(एक छोटा सा निबंध...)



✍️जीवनज्योति शर्मा पर चर्चा और हम......
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_________एक बात मुझे समझ नहीं आता कि हम दिनभर में अपने से ज्यादा हमारे आस पड़ोस के लोगों के बारे में क्यों ज्यादा चर्चा करते हैं, जबकि उनकी किसी भी बात से हमारे दिनचर्या में कुछ भी फरक नहीं आता!!

                 एक दिन में 24 घंटे होते हैं और उनमें से 23 घंटे हम दूसरों के समालोचना में व्यस्त रहते हैं। मुझे लगता है हमारे देश का पिछे रहने की ये भी एक मुख्य कारण है। दूसरे देशों में जैसे AMERICA, JAPAN, ENGLAND आदि में जब हम नजर दालते हैं तो ये साफ साफ दिखाई देता है कि वहा के लोग अपना एक दिन यानी कि 24 घंटे कैसे इस्तेमाल करते हैं। उन देशों में परचर्चा के लिए कोई भी व्यक्ति अपना समय व्यतीत नहीं करता है, सब सिर्फ अपने कामों में ही ध्यान लगाता है। शायद यही वजह है कि आज वह देश ऊँचाइयों की बुलंदियों को चु रहे हैं और अब भी हम इसी बात की चर्चा में है कि पड़ोसी की बेटी अपने ड्राइवर के साथ भाग गया। और News Paper पड़ के रोज हम अपने ही सरकार को गाली दे रहे हैं कि उन लुटेरों की बजह से ही हमारा देश आगे नहीं बढ़ रहा है, जब की ऐसे अचल में नहीं है। 

                दोस्तों, जरा खुद सोचो - अगर हम देश के प्रगति पर भाषण देके, उसके लिए काम करने के बजाए किसने पिछली रात को क्या खाया इस पर चर्चा करके अपने समय बर्बाद करते रहेंगे तो सरकार कैसे देश को आगे बढ़ायेगा?
"पर चर्चा और हम..............."
(एक छोटा सा निबंध...)



✍️जीवनज्योति शर्मा पर चर्चा और हम......
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_________एक बात मुझे समझ नहीं आता कि हम दिनभर में अपने से ज्यादा हमारे आस पड़ोस के लोगों के बारे में क्यों ज्यादा चर्चा करते हैं, जबकि उनकी किसी भी बात से हमारे दिनचर्या में कुछ भी फरक नहीं आता!!

                 एक दिन में 24 घंटे होते हैं और उनमें से 23 घंटे हम दूसरों के समालोचना में व्यस्त रहते हैं। मुझे लगता है हमारे देश का पिछे रहने की ये भी एक मुख्य कारण है। दूसरे देशों में जैसे AMERICA, JAPAN, ENGLAND आदि में जब हम नजर दालते हैं तो ये साफ साफ दिखाई देता है कि वहा के लोग अपना एक दिन यानी कि 24 घंटे कैसे इस्तेमाल करते हैं। उन देशों में परचर्चा के लिए कोई भी व्यक्ति अपना समय व्यतीत नहीं करता है, सब सिर्फ अपने कामों में ही ध्यान लगाता है। शायद यही वजह है कि आज वह देश ऊँचाइयों की बुलंदियों को चु रहे हैं और अब भी हम इसी बात की चर्चा में है कि पड़ोसी की बेटी अपने ड्राइवर के साथ भाग गया। और News Paper पड़ के रोज हम अपने ही सरकार को गाली दे रहे हैं कि उन लुटेरों की बजह से ही हमारा देश आगे नहीं बढ़ रहा है, जब की ऐसे अचल में नहीं है। 

                दोस्तों, जरा खुद सोचो - अगर हम देश के प्रगति पर भाषण देके, उसके लिए काम करने के बजाए किसने पिछली रात को क्या खाया इस पर चर्चा करके अपने समय बर्बाद करते रहेंगे तो सरकार कैसे देश को आगे बढ़ायेगा?

पर चर्चा और हम...... ---------------------------------------- _________एक बात मुझे समझ नहीं आता कि हम दिनभर में अपने से ज्यादा हमारे आस पड़ोस के लोगों के बारे में क्यों ज्यादा चर्चा करते हैं, जबकि उनकी किसी भी बात से हमारे दिनचर्या में कुछ भी फरक नहीं आता!! एक दिन में 24 घंटे होते हैं और उनमें से 23 घंटे हम दूसरों के समालोचना में व्यस्त रहते हैं। मुझे लगता है हमारे देश का पिछे रहने की ये भी एक मुख्य कारण है। दूसरे देशों में जैसे AMERICA, JAPAN, ENGLAND आदि में जब हम नजर दालते हैं तो ये साफ साफ दिखाई देता है कि वहा के लोग अपना एक दिन यानी कि 24 घंटे कैसे इस्तेमाल करते हैं। उन देशों में परचर्चा के लिए कोई भी व्यक्ति अपना समय व्यतीत नहीं करता है, सब सिर्फ अपने कामों में ही ध्यान लगाता है। शायद यही वजह है कि आज वह देश ऊँचाइयों की बुलंदियों को चु रहे हैं और अब भी हम इसी बात की चर्चा में है कि पड़ोसी की बेटी अपने ड्राइवर के साथ भाग गया। और News Paper पड़ के रोज हम अपने ही सरकार को गाली दे रहे हैं कि उन लुटेरों की बजह से ही हमारा देश आगे नहीं बढ़ रहा है, जब की ऐसे अचल में नहीं है। दोस्तों, जरा खुद सोचो - अगर हम देश के प्रगति पर भाषण देके, उसके लिए काम करने के बजाए किसने पिछली रात को क्या खाया इस पर चर्चा करके अपने समय बर्बाद करते रहेंगे तो सरकार कैसे देश को आगे बढ़ायेगा?