आज मिथिलांचल का एक लोकप्रिय पर्व है जिनका नाम बरसाइत अर्थात वट-सावित्री पूजा।भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक है।
इस पूजा मे सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु की कामना करती है। परंपरा के अनुसार सुहागिन महिलाएं उपवास रखती है और सुहागिन श्रृंगार करके पूजा की थाली में फल-फूल, मिठाई, आम, लीची, धान, लावा, चना, मूंग की अंकुरी, बर के फर आदि रखकर महिलाएं नदी/पोखर या मंदिर परिसर में बरगद के पेड़ के नीचे विधि विधान से पूजा करती है। और वट वृक्ष पर धागा बांध कर परिक्रमा करते समय गीत भी गुनगुनाती है।
वट—सावित्री पूजा के बाद सुहागिन महिलाओं ने अपने पति को प्रणाम करती है उन्हें प्रसाद खिलाया गया, प्रसाद खिलाते समय पंखा भी झेलती है।
इतना करने के बाद खुद भी प्रसाद ग्रहण किया और उपवास तोड़ती है।
नवविवाहित के लिए यह दिन बहुत ही खुशी का होता है।
शहर की महिलाए भी इस पर्व को धुमधाम से मनाती हैं, हालांकि वो अपने घर पर ही बरगद के टहनी लगाकर पूजा करती है।
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