हर एक कोशिश कर के देख लो भुला ना पाओगी नफ़रत चाहे जितनी भी कर लो जता ना पाओगी आभास सा हो रहा है यादें मेरी सता रही है क्या . रातों को नींद भी ना अब रही है चलो इसी बहाने याद मेरी तो आ रही है! (A) (Written by Rudra Srivastava) 21 August 2025