कभी कभी असमंजस में आ जाता हूँ, जब सपनों में तुम्हें संग पाता हूँ....... जब भी हकीक़त के पन्नों को पलटाता हूँ, तेरी यादों की किताबों में खो जाता हूँ....... यूँ तो मुसाफिर बने, अब मैं फिरता हूँ, न जाने किस राह में, अब मैं चलता हूँ........ जब भी लिखने को हाथों में कलम उठाता हूँ, तब जा के शांत कहीं खुद को मैं कर पाता हूँ....... उस बीते पल को मैं अपने आज में जीता हूँ, वक़्त का तकाज़ा है ये, खुद को ऐसा समझाता हूँ... जब भी वकालत खुद से खुद की करता हूँ, तब दोषी भी अक्सर मैं खुद को ही पाता हूँ..... बातों बातों में तुम्हें, सब कुछ समझाना चाहता हूँ, वक़्त की चोट को, वक़्त के साथ भरना चाहता हूँ...... #nojoto #nojotohindi #hindi #hindipoetry #poetry #quotes #myquote #love #hardaha #apnabilaspur #94