ओ मेरे हमनवा तुमसे मिलकर ये दिल मेरा, बेतहाशा यूँ ही धड़कनें लगा। ऐसा कभी पहले न हुआ, न जाने क्यों ये तड़पने लगा। ये आँखें बस तुम्हें देखती रह गई, जैसे किसी ख्वाब की तरह। ओ मेरे हमनवा, मैं चाहूँ तुझे बेपनाह। ओ मेरे हमनवा, तेरे बिन मैं हूँ बेवजह। आँखों में अश्क नहीं है तो क्या, दिल में है लेकिन दर्द भरा। इस दर्द की गहराई में नाम है तेरा, तू आकर एक दफा पढ़ ले ज़रा। वो निगाहें तेरी ऐसा दर्द दे गई, के तुम्हें हम बताएँ किस तरह। ओ मेरे हमनवा, मैं चाहूँ तुझे बेपनाह...... मुझसे हुई ऐसी क्या खता, इतना बता ऐ मेरे खुदा। मिलाया क्यों तुमने बेवजह, जब करना ही था जुदा। दुआ की तरह वो जिंदगी में आ गई, जुदा हो गई फिर हवा की तरह। ओ मेरे हमनवा, मैं चाहूँ तुझे बेपनाह। ©Aarzoo smriti ओ मेरे हमनवा