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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हर

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
8 - जागे हानि न लाभ कछु

राजकुमार श्वेत के आनन्द का पार नहीं है। आज उनका अभीष्ट पूर्ण हुआ। आज उनकी तपस्या सार्थक हुई। उन्हें लगता है कि आज उनका जीवन सफल हो गया। उन्होंने भगवान् पुरारि से वरदान प्राप्त किया है कि पृथ्वी पर वे सहस्त्र वर्ष एकच्छत्र सम्राट रहेंगे और सौ अश्वमेघ निर्विघ्न सम्पन्न कर सकेंगे। भविष्य में इन्द्रासन उनका स्वत्व बनेगा।

पिता परम शिवभक्त हैं। श्वेत ने जब गुरुगृह को शिक्षा सम्पन्न करके कुछ काल तपोवन में रहने की अभिलाषा व्यक्त की, तब पिता ने अनुमति और आशीर्वाद दिया। आज वह आशीर्वाद फलित हुआ है।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 8 - जागे हानि न लाभ कछु राजकुमार श्वेत के आनन्द का पार नहीं है। आज उनका अभीष्ट पूर्ण हुआ। आज उनकी तपस्या सार्थक हुई। उन्हें लगता है कि आज उनका जीवन सफल हो गया। उन्होंने भगवान् पुरारि से वरदान प्राप्त किया है कि पृथ्वी पर वे सहस्त्र वर्ष एकच्छत्र सम्राट रहेंगे और सौ अश्वमेघ निर्विघ्न सम्पन्न कर सकेंगे। भविष्य में इन्द्रासन उनका स्वत्व बनेगा। पिता परम शिवभक्त हैं। श्वेत ने जब गुरुगृह को शिक्षा सम्पन्न करके कुछ काल तपोवन में रहने की अभिलाषा व्यक्त की, तब पिता ने अनुमति और आशीर्वाद दिया। आज वह आशीर्वाद फलित हुआ है।

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