महसूस कर रहे हैं हम कि तुम हमारे हो सनम तुम सामने बैठे रहो और हो जाए तन्हाई कम, तन्हाई का आलम हटा तो शर्म आई आँख मे हम तुमसे कुछ न कह सके हर बात रह गई बात मे, कुछ सुनने की ख्वाहिश लिए आए थे तेरे सामने पर सामने आते ही मेरी ख्वाहिशें मिटती रहीं अल्फाज़ वो न मिल सके जिनसे बयां कुछ हो सके हम तुमसे कुछ न कह सके तुम हमसे कुछ न कह सके!! महसूस कर रहे हैं हम कि तुम हमारे हो सनम.....💞 By _ARTI SHUKLA 20 years old, my favourite poem in My Diary📝 My 20 years old poem 📝♥️ #reading