...... प्यार -1 तुझे चाहा बहोत पर पाने कि उम्मीद खो गई । मुझे नही पता में कब तेरी हो गई। ...... तुझे हकीकत में पास ना पाया तो सपनों में खो गई। मुझे नही पता में कब तेरी हो गई। ...... तेरे को पाने की उम्मीद में मेरे मक़सद को खो गई। मुझे नहीं पता में कब तेरी हो गई। ..... तुझे देखना भी अपनेपन कि कहानी हो गई। मुझे नहीं पता में कब तेरी हो गई। ... तेरे चेहरे पर वो मुस्कान न जाने कब इतनी प्यारी हो गई मुझे नहीं पता में कब तेरी हो गई। तुझे लगता है ,ना जाने क्यूं पैसे के लिए अपने बीच यारी हो गई। मुझे नहीं पता में कब तेरी हो गई। ...... तुझे देखने के बाद दिल में इश्क की बीमारी हो गई मुझे नहीं पता मैं कब तेरी हो गई। ...... ना जाने क्यों तुझ पर यह गलतफहमी की सवारी हो गई मुझे नहीं पता मैं कब तेरी हो गई। ....... पैसों से प्यार को तोलते हो मैं तो खुद ब खुद तेरे प्यार की मारी हो गई मुझे नहीं पता मैं कब तेरी हो गई। ....... और तू फिर भी कहता कि मुझमें गद्दारी हो गई। मुझे नहीं पता में कब तेरी हो गई। ....... सच कहूं तो में तेरे एक तरफा इश्क की मारी हो गई। मुझे नहीं पता में कब तेरी हो गई। _ज्योति गुर्जर #एकतरफाप्यार