यहाँ पर हर कोई रखता हैं ख़बर औरों की गुनाहों की, अज़ब फ़ितरत हैं कोई आइना नहीं रखता..... यहाँ पर हर कोई कहता हैं सीरत चाहिए, अज़ब खेल हैं इस जहाँ का जो सूरत पर ही मरता हैं....... वो पहले सा कहीं मुझकों कोई मंजर नहीं लगता, यहाँ तो लोगों को अब ख़ुदा से भी डर नहीं लगता.... यहाँ सब झूठ बोलकर ख़ुश हैं, कोई सच की आवाज़ नहीं करता... सच हमेशा कड़वा होता हैं इसीलिए सच बोलकर कोई किसी को नाराज़ नहीं करता.... ये ग़लत कहते हैं लोग कि, तुम्हारा नम्बर और पता नहीं मेरे पास.. सच तो ये है कि कोई उस हद तक किसी को तलाश नहीं करता..... #नाम #पता #गुनाह #ख़बर