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तुम बिन पूस की रातें बीतीं , जैसे ग्रहण हो बरसों



तुम बिन पूस की रातें बीतीं ,
जैसे ग्रहण हो बरसों का

तुम बिन माघ भी फिसला ,
जैसे चाँद का साबुन हाथों से 

तुम्हीं बताओ सजनी  मोरीे अबके
फागुन ,फाग गाएगा....??


तुम बिन पूस की रातें बीतीं ,
जैसे ग्रहण हो बरसों का

तुम बिन माघ भी फिसला ,
जैसे चाँद का साबुन हाथों से 

तुम्हीं बताओ सजनी  मोरीे अबके
फागुन ,फाग गाएगा....??
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