इस दुनिया के सब रंग देखे हैं, मैंने अपनों की आँखों में दर्द देखे हैं। टीस सी चुभ जाये सीने में, लोगों की बातों में वो अज़्म देखे हैं।। गले तो लगते हैं यहां हर कोई अपना मान कर, पर छिपे उनके हांथों में खंजर देखे हैं।। कब कौन वार कर दे अँधेरे में, किसे मालुम है, मैंने इश्क़ में जलते शहर देखे हैं।। ©अंकित कुमार