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गर मेरा कसूर है रे नादां फिर सब मंज़ूर है रे नादां

गर मेरा कसूर है रे नादां
फिर सब मंज़ूर है रे नादां

मिट्टी की परी पे मर बैठा?
फिरदौस में हूर है रे नादां

जो पाता है वो खोता है
ये ही दस्तूर है रे नादां

ये रंग लिबास ये ही खुश्बू
क़फ़न,काफूर है रे नादां

ख़ुदा तो दिल से करीब है
दिल ही दूर है रे नादां।।

(अदनान सिद्दीकी)
गर मेरा कसूर है रे नादां
फिर सब मंज़ूर है रे नादां

मिट्टी की परी पे मर बैठा?
फिरदौस में हूर है रे नादां

जो पाता है वो खोता है
ये ही दस्तूर है रे नादां

ये रंग लिबास ये ही खुश्बू
क़फ़न,काफूर है रे नादां

ख़ुदा तो दिल से करीब है
दिल ही दूर है रे नादां।।

(अदनान सिद्दीकी)