न जाने, कितनी कविताएँ, तुम्हारे भवों की, वक्रीय रेखाओं से, गति कर के, नोज रिंग के, आवर्त में, घूम कर ही, भटक चुकी हैं। #MeandYou #कविता #प्रेम #आँख