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चंद रुपयों मैं बिकता हैं यहाँ “इंसान का ज़मीर” कौन

चंद रुपयों मैं बिकता हैं यहाँ “इंसान का ज़मीर” कौन कहता हैं मेरे देश मैं महंगाई बहुत हैं
चंद रुपयों मैं बिकता हैं यहाँ “इंसान का ज़मीर” कौन कहता हैं मेरे देश मैं महंगाई बहुत हैं