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रेल की तरह गुज़र तो कोई भी सकता है, इंतेज़ार में प

रेल की तरह गुज़र तो कोई भी सकता है,
इंतेज़ार में पटरी की तरह पड़े  रहना ही असली इश्क़ है..
रेल की तरह गुज़र तो कोई भी सकता है,
इंतेज़ार में पटरी की तरह पड़े  रहना ही असली इश्क़ है..