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ग़ज़ल मुहब्बत इबादत है जिसकी नज़र में। रहेगा ह

ग़ज़ल  

मुहब्बत इबादत है जिसकी नज़र में। 
रहेगा हमेशा रूहानी असर में। 

ये शानो ये शौकत हैं दुनिया के मेले 
अकेले ही जाना पड़ेगा सफर में।

मिलेगी न काफिर को मंजिल सनम की 
भटकता रहेगा यूं ही रहगुज़र में।

अदावत करोगे तो नफरत मिलेगी 
मिलेगी मुहब्बत मुहब्बत के घर में। 

गुनाहों से बचना न करना खताएं 
पयाम-ए-मुहब्बत ले जाना नगर में।

पराजय मिले गर तो हिम्मत न खोना।
बजेगा नगाड़ा ज़फ़र की डगर में।

तमन्ना जो करना गुलिस्तां की 'मीरा'
उगाना न कांटे किसी भी शजर में। 

मनजीत शर्मा 'मीरा' मुहब्बत इबादत है 🙏
ग़ज़ल  

मुहब्बत इबादत है जिसकी नज़र में। 
रहेगा हमेशा रूहानी असर में। 

ये शानो ये शौकत हैं दुनिया के मेले 
अकेले ही जाना पड़ेगा सफर में।

मिलेगी न काफिर को मंजिल सनम की 
भटकता रहेगा यूं ही रहगुज़र में।

अदावत करोगे तो नफरत मिलेगी 
मिलेगी मुहब्बत मुहब्बत के घर में। 

गुनाहों से बचना न करना खताएं 
पयाम-ए-मुहब्बत ले जाना नगर में।

पराजय मिले गर तो हिम्मत न खोना।
बजेगा नगाड़ा ज़फ़र की डगर में।

तमन्ना जो करना गुलिस्तां की 'मीरा'
उगाना न कांटे किसी भी शजर में। 

मनजीत शर्मा 'मीरा' मुहब्बत इबादत है 🙏

मुहब्बत इबादत है 🙏