ढूँढ कर देखा जगत में कू-ब-कू, क्या बताएँ कहाँ मिलता है सुकूँ, प्रेम और सम्मान बिन बेकार सब, स्वर्ग भी हो तो भला क्योंकर रुकूँ, सरपरस्ती है वतन के वास्ते अब, सबके आगे बेवज़ह ही क्यों झुकूँ, लोग सुनते अपने मतलब की सदा, खामखा ही बात मन की क्यों रखूँ, ज़हर हो जिसमें मिला उन्माद का, ऐसे मज़हब का मज़ा क्योंकर चखूँ, ढूँढता इंसान दुनिया में मुक़द्दस, हृदय में श्रीराम जब चाहूँ लखूँ, ज्ञान का उपहार गुरु का मार्गदर्शन, जीते जी निर्वाण 'गुंजन' क्यों चुकूँ, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #कहाँ मिलता है सुकूँ#