कैसी हवाएं चल रही देश में मानवता शर्मसार हो गई ! फिर से बेटी अपनों के ही हाथों का शिकार हो गई !! देखो फिर से वही आज फिर निर्भया कांड दोहराया है ! फिर से बेटी का घर से जाने को मन घबराया है !! मानसिकताएं है सोई वो अपनी भूख मिटाते हैं ! देखो तार-तार कर बेटी को वो यूं ही मरवाते हैं !! कैंडल मार्च से कुछ नहीं होगा सही कारण पहचानना होगा ! मानव की खाल में बैठे दानव को बाहर निकालना होगा !! हैवानियत फैली है समाज में हैवान यहां पर बैठे हैं ! घर में बेटी कैद है और वो आजाद ही बैठे हैं !! और एक सवाल सब से 👇👇 कितने आहत हुई बेटियां ? कितने केस अभी तक सुलझे ? कितने स्वार्थी हैं हम देखो,जात-पात में ही हैं उलझे ! ##और उन दरिंदो के ईलाज में दो पंक्तियाँ ## बहुत मर चुकी बेटियाँ, अब थोड़ा गहराई से सोचते हैं ! जो दरिंदे नोचे बेटी को," विनोद "अब उनको ही नोचते हैं !! ✍विनोद शर्मा ✍