डिमिक डिमिक डमरु बजाबे पार्वती पति ओढर दानी शिव शंकर भोला नव नीरद शुचि श्यामल सुन्दर करते हैं शुभ काम शुभंकर मन से नित दिन शाम सबेरे बम-बम जो बोला जन मन रंजन नाथ निरंजन दीनबन्घु शिव हैं दुख भंजन पान किये जन हितकारे वो विष का भी प्याला रूप 'ललित' अति मन को भाता देव मुनि इनके गुण गाता हरदम रहते हैं मस्ती में खाके भंग गोला अंग विभूति धुनी रमाये शैल-सुता-शिव संग सुहाये बाघम्बर तन शोभित उनके कांधे भंग झोला मुण्डमाल मस्तक पर चंदा कर त्रिशूल गंगा की धारा नीलकंठ के कंठ बिराजे नागराज काला -ललित रंग ©Lalit Mishra #शिव #भजन