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सुबह हो या सांझ सूर्य की लालिमा कुछ कहती है... सुब

सुबह हो या सांझ सूर्य की लालिमा कुछ कहती है...
सुबह की लालिमा जहाँ तेज प्रकाश के साथ नई उर्जा देती है,
वही सांझ हमे आराम की अनुभूति दिलाती है।

सुबह उमंग भर देती है वहीं सांझ सुकून दे जाती है।

सुबह की लालिमा जब किरण में बदल जाती है,
उस किरण का चेहरे में स्पर्श मात्र से तरोताजा हो जाता हूँ,
वही सांझ उम्मीद दे जाती है,
कल फिर सुबह होगा फिर से नई किरण आएगी।

पहले-पहल तो मैं बहुत असमंजस में रहता था कि...
मेरे लिए सुबह की लालिमा खास है या सांझ की,
अब मुझे विश्वास है दोनों में कुछ अलग बात है।

तभी तो मैं जब कभी घर में होता हूँ,
सुबह हो या हो सांझ इन पलों को अपनी आंखों में संजोता हूँ।

छत से टिक टिक करके देखता हूँ...
जब तक सुबह की लालिमा किरण न बन जाए और
सांझ की लालिमा ओझल न हो जाए।
सच्ची यह दोनों पल मेरे दिल के बहुत करीब है,
जिसकी मुझे किमत भी चुकानी पड़े तो मंजूर है। सुबह हो या #सांझ सूर्य की #लालिमा कुछ कहती है...
सुबह की लालिमा जहाँ तेज #प्रकाश के साथ नई उर्जा देती है,
वही सांझ हमे आराम की #अनुभूति दिलाती है,
सुबह #उमंग भर देती है वहीं सांझ सुकून दे जाती है,
सुबह की लालिमा जब #किरण में बदल जाती है,
उस किरण का चेहरे में #स्पर्श मात्र से तरोताजा हो जाता हूँ,
वही सांझ #उम्मीद दे जाती है,
कल फिर सुबह होगा फिर से नई किरण आएगी,
सुबह हो या सांझ सूर्य की लालिमा कुछ कहती है...
सुबह की लालिमा जहाँ तेज प्रकाश के साथ नई उर्जा देती है,
वही सांझ हमे आराम की अनुभूति दिलाती है।

सुबह उमंग भर देती है वहीं सांझ सुकून दे जाती है।

सुबह की लालिमा जब किरण में बदल जाती है,
उस किरण का चेहरे में स्पर्श मात्र से तरोताजा हो जाता हूँ,
वही सांझ उम्मीद दे जाती है,
कल फिर सुबह होगा फिर से नई किरण आएगी।

पहले-पहल तो मैं बहुत असमंजस में रहता था कि...
मेरे लिए सुबह की लालिमा खास है या सांझ की,
अब मुझे विश्वास है दोनों में कुछ अलग बात है।

तभी तो मैं जब कभी घर में होता हूँ,
सुबह हो या हो सांझ इन पलों को अपनी आंखों में संजोता हूँ।

छत से टिक टिक करके देखता हूँ...
जब तक सुबह की लालिमा किरण न बन जाए और
सांझ की लालिमा ओझल न हो जाए।
सच्ची यह दोनों पल मेरे दिल के बहुत करीब है,
जिसकी मुझे किमत भी चुकानी पड़े तो मंजूर है। सुबह हो या #सांझ सूर्य की #लालिमा कुछ कहती है...
सुबह की लालिमा जहाँ तेज #प्रकाश के साथ नई उर्जा देती है,
वही सांझ हमे आराम की #अनुभूति दिलाती है,
सुबह #उमंग भर देती है वहीं सांझ सुकून दे जाती है,
सुबह की लालिमा जब #किरण में बदल जाती है,
उस किरण का चेहरे में #स्पर्श मात्र से तरोताजा हो जाता हूँ,
वही सांझ #उम्मीद दे जाती है,
कल फिर सुबह होगा फिर से नई किरण आएगी,

सुबह हो या #सांझ सूर्य की #लालिमा कुछ कहती है... सुबह की लालिमा जहाँ तेज #प्रकाश के साथ नई उर्जा देती है, वही सांझ हमे आराम की #अनुभूति दिलाती है, सुबह #उमंग भर देती है वहीं सांझ सुकून दे जाती है, सुबह की लालिमा जब #किरण में बदल जाती है, उस किरण का चेहरे में #स्पर्श मात्र से तरोताजा हो जाता हूँ, वही सांझ #उम्मीद दे जाती है, कल फिर सुबह होगा फिर से नई किरण आएगी, #कविता #असमंजस #किमत #संजोता