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किसी से, कुछ न, कहना, कैसा लगता है, चुपचाप यू खामो

किसी से, कुछ न, कहना, कैसा लगता है,
चुपचाप यू खामोश रहना, कैसा लगता है.

तमाम कोशिशों के बाद भी खुशी न मिले,
आंसू के, बहाव में, बहना, कैसा लगता है.

बारहा यू बिगड़ जाना ख्वाबों की तस्वीर,
उम्मीदों की, दीवार ढहना, कैसा लगता है.

कोई भी दिलासा, जब आस पास ना रहे,
शामों सहर ही दर्द सहना, कैसा लगता है.

बयां अहसास पढ़ महसूस कर फिर बता,
दिल पे जख्मों का गहना, कैसा लगता है.

©Mansi #मानसी #Nojoto
किसी से, कुछ न, कहना, कैसा लगता है,
चुपचाप यू खामोश रहना, कैसा लगता है.

तमाम कोशिशों के बाद भी खुशी न मिले,
आंसू के, बहाव में, बहना, कैसा लगता है.

बारहा यू बिगड़ जाना ख्वाबों की तस्वीर,
उम्मीदों की, दीवार ढहना, कैसा लगता है.

कोई भी दिलासा, जब आस पास ना रहे,
शामों सहर ही दर्द सहना, कैसा लगता है.

बयां अहसास पढ़ महसूस कर फिर बता,
दिल पे जख्मों का गहना, कैसा लगता है.

©Mansi #मानसी #Nojoto