बादलों के दामन में बलखाती वो नन्ही सी बूंदें ओस की देख धरा को ललचाई तड़प उठी मिलने को ऐसी छोड़ चली अंगना बाबुल का अब कौन राह ले जाये ज़िन्दगी क्या है भाग्य में कोई ना जाने जाने कहाँ पर जा गिरेगी