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पंडिताइन-- " पगलू तुम्हारी कलम बनना है मुझे, हमेशा

पंडिताइन-- " पगलू तुम्हारी कलम बनना है मुझे, हमेशा तुम्हारी शर्ट की जेब में, तुम्हारे दिल के पास,
और जिस दिन लड़ोगे मुझसे शर्ट स्याही स्याही हो जाएगी..!

पंडित-- "अरे पगली कहाँ कलम और स्याही पे जा रही हो? कलम खो भी सकती है, स्याही सूख भी सकती है। 
तुम तो मेरी आड़ी तिरछी लेखनी हो। राइटिंग ना बदलती है ना सुधरती है। तुम मेरी राइटिंग हो। हाँ तुम राइटिंग ही तो हो"❗
पंडिताइन-- " पगलू तुम्हारी कलम बनना है मुझे, हमेशा तुम्हारी शर्ट की जेब में, तुम्हारे दिल के पास,
और जिस दिन लड़ोगे मुझसे शर्ट स्याही स्याही हो जाएगी..!

पंडित-- "अरे पगली कहाँ कलम और स्याही पे जा रही हो? कलम खो भी सकती है, स्याही सूख भी सकती है। 
तुम तो मेरी आड़ी तिरछी लेखनी हो। राइटिंग ना बदलती है ना सुधरती है। तुम मेरी राइटिंग हो। हाँ तुम राइटिंग ही तो हो"❗