सींच कर देख लेना श्रद्धा से क्यारियों को। पुष्पों की एक क्यारी बाग बन जाती है। चीखने व चिल्लाने का हो हुनर यदि। आजकल गालियाँ भी राग बन जाती हैं। जलना,जलाना,व रौशन करना हो गर। केवल एक चिंगारी आग बन जाती है। साधु संतों ने जहाँ तप किए यज्ञ किए। विश्व में वही धरा प्रयाग बन जाती है। -अमूल्य मिश्रा #Prayag