#5LinePoetry थोड़ी देर के रोने से सबकुछ मिल जाता था, अनगिनत खुशियों का भी अपना एक बही खाता था खेल खेल में आपस में अन बन वाला नाता था, मिनटों में लड़भिड कर पहला दूसरे को मनाता था, बचपन में चाहा जो कुछ वो बिन मांगे घर आ जाता था, सिख सदा गलती पर मिलती जो मा पापा ने हमको डांटा था, तलाश है बस उस सुकून कि अब जो बचपन में हमको मिल जाता था !! ©Anurag Stunning #bachpan #5LinePoetry