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तुझको लिखूँ या तुझ पर लिखूँ,, कलम थम सी जाती है,,

तुझको लिखूँ या तुझ पर लिखूँ,, कलम थम सी जाती है,,
तेरी महफिल में आकर के,, सांसे जम सी जाती है,,,
हर लफ्ज़ में अहसास है ,,तरी आहट का,,,
आहट सुनते ही आँखे ,हो नम सी जाती है,,,,
,,,,,,,,✍️✍️✍️
तुझको लिखूँ या तुझ पर लिखूँ,, कलम थम सी जाती है,,
तेरी महफिल में आकर के,, सांसे जम सी जाती है,,,
हर लफ्ज़ में अहसास है ,,तरी आहट का,,,
आहट सुनते ही आँखे ,हो नम सी जाती है,,,,
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