है रोशनी की चाहत मुझे भी इन राहों मे, कि ये अंधेरा अब मुझे भी खल रहा है । मैं अंधेरे भी चल सकता हूं आदत है मेरी, मगर उसकी नही जो मेरे साथ चल रहा है । पहले भी टूटे है हजारो हसीं ख्वाब मेरे, मगर फिर भी दिल मे एक और ख्वाब पल रहा है । बार-बार जख्म खाता है ये मेरा दिल मगर, ना जाने इसके दिमाग क्या-क्या चल रहा है । -सौरभ लखनवी #Dreams #sapne #ख्वाब #Life #शायरी #spark #Fire