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कई दिनों से रुकी हुई मेरी वह लिखावट, बिगड़ने को तत्

कई दिनों से रुकी हुई मेरी वह लिखावट,
बिगड़ने को तत्पर हो रही शब्दों की बनावट।

कोरे पेज को देख कर रही है बगावत,
यह चल क्या रहा समझ आता नही रावत।

कहां गुम हो गये कविता के वो आहट,
क्रमशः निकलती व महकती वो पंक्तियों की सजावट।

अब तिरष्कृत होने लगी हृदय से चिपकी राहत,
किसको दुत्कार रहा कौन करे गीतों की दावत।

कवि है झूमते पवनो को कर दे मिलावट,
रिम-झिम बारिश का पानी जो करे झनझनाहट।

आयेगा नया उछाल फिर दिखेगी पुरानी वह आदत,
मंजिलों को आसमान तक पहुंचाने की बढ़ेगी चाहत। #चुपचाप ।

#Hindiwriter #hindipoetry #nojoto #hindishayari.
कई दिनों से रुकी हुई मेरी वह लिखावट,
बिगड़ने को तत्पर हो रही शब्दों की बनावट।

कोरे पेज को देख कर रही है बगावत,
यह चल क्या रहा समझ आता नही रावत।

कहां गुम हो गये कविता के वो आहट,
क्रमशः निकलती व महकती वो पंक्तियों की सजावट।

अब तिरष्कृत होने लगी हृदय से चिपकी राहत,
किसको दुत्कार रहा कौन करे गीतों की दावत।

कवि है झूमते पवनो को कर दे मिलावट,
रिम-झिम बारिश का पानी जो करे झनझनाहट।

आयेगा नया उछाल फिर दिखेगी पुरानी वह आदत,
मंजिलों को आसमान तक पहुंचाने की बढ़ेगी चाहत। #चुपचाप ।

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