ख़ामोशी..... ख़ामोशी अपनेमें ही एक उमिद होती है किसिके आंखो के शर्म को बचाती है। ख़ामोशी कोई सज़ा या कमज़ोरी नहीं किसी अपने को बचाने की एक कोशिश होती है। खामोशी झूट बोलने का या छुपनेका जरिया नहीं बल्कि किसिका दिल टूटने से बचाने की वज़ह होती है। ख़ामोश रहना कभी कभी सही ही होता है लाखों लोगों को बेआब्रू होने से बचाता है। #ख़ामोशी कमज़ोरी नहीं है।