होली जिस ख़ुशी से तुम सबको रंग लगा रहे हो मेरे पास आकर तुम ठहर क्यों रहे हो माना कुरता और टोपी है पोशाक मेरी होली मैं भी खेलु यही चाह है मेरी हमारे रिश्ते में कोई क्या दाग़ लगायेगा रंग लगाले दोस्त जी भरके एकता हमें कोई क्या सिखायेगा तेरे दरवाज़े मैं खुद आऊँगा तेरा नाम पुकार तुझे बाहर बुलाऊँगा थोड़ी देर हुई तो इंतज़ार कर लेना मेरे यार नमाज़ का वक़्त है मुझे माफ़ कर देना पठानी मेरी सफ़ेद तेरे रंगों की भूखी है लगा भी दे रंग यारा आज ही तो होली है तेरे घर की मिठाइयां मेरे घर भी बँटे रंगों की छींटे कुछ मेरे दीवारों पर पड़े ऐसे हे नहीं हम सब हिंदुस्तानी कहलाएँगे चल खेले होली आज जशन मनाएंगे मेरी पठानी के ये दाग़ अच्छे है रंगों में घुले ये प्यार अच्छे है हम इसी तरह साथ साथ अच्छे है हम साथ साथ अच्छे है :-नर्गिस बानो हैदरअली कविता :- होली poem on holi #ektakiholi #hindustankiholi #pyarkrangachchehai #happyholi #nojotohindi #NojotoPune#nojotopune