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उम्मीद का परिंदा हमेशा दिल में जिन्दा रखो। गर हार

उम्मीद का परिंदा हमेशा दिल में जिन्दा रखो।
गर हार जाओं तो जीतनें का हौसला जिंदा रखो।
बिन कर्म किये कुछ नहीं मिलता हैं यहां साहिब,
सदैव अपनें कर्मों का पूरा तुम हिसाब जिंदा रखो।।

हो तुम मुसाफ़िर प्यारे तो अपना सफ़र जिन्दा रखो,
नेह राहों में फूलों और कांटों का शमां जिन्दा रखो।
मिलेगा कभी ना कभी हर राही को उसका मंजिल,
बस आंखों में अपनें मंजिल की निशां जिंदा रखो।।

ना हो हकीक़त में तो सपनों का पुरिदां जिंदा रखो,
सागरों का ना सही, तो नदियों का तलब जिंदा रखो।
ना रहेगा अधूरा, पूरा होगा हर किस्सा यहां पर साहिब,
पूरे का ना सही, अधूरेपन की खाव्हिश जिन्दा रखो।।

चलतें सफ़र में अपनें क़दमों के निशान जिन्दा रखो,
होगा हर कदम पर इम्तिहान, अपनें जवाब जिन्दा रखो।
कुछ ना मिलता यहां किस्मत के भरोसे बैठनें वालों को,
कुछ कर गुजर जाना हैं तुम्हें, ये हुंकार जिन्दा रखो।। #उम्मीद_का_परिंदा
#new_challenge
There is new challenge of poem/2 line/4 line in he whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is 

 *उम्मीद का परिंदा* 

Any writer can write anything but *remember the rule*
उम्मीद का परिंदा हमेशा दिल में जिन्दा रखो।
गर हार जाओं तो जीतनें का हौसला जिंदा रखो।
बिन कर्म किये कुछ नहीं मिलता हैं यहां साहिब,
सदैव अपनें कर्मों का पूरा तुम हिसाब जिंदा रखो।।

हो तुम मुसाफ़िर प्यारे तो अपना सफ़र जिन्दा रखो,
नेह राहों में फूलों और कांटों का शमां जिन्दा रखो।
मिलेगा कभी ना कभी हर राही को उसका मंजिल,
बस आंखों में अपनें मंजिल की निशां जिंदा रखो।।

ना हो हकीक़त में तो सपनों का पुरिदां जिंदा रखो,
सागरों का ना सही, तो नदियों का तलब जिंदा रखो।
ना रहेगा अधूरा, पूरा होगा हर किस्सा यहां पर साहिब,
पूरे का ना सही, अधूरेपन की खाव्हिश जिन्दा रखो।।

चलतें सफ़र में अपनें क़दमों के निशान जिन्दा रखो,
होगा हर कदम पर इम्तिहान, अपनें जवाब जिन्दा रखो।
कुछ ना मिलता यहां किस्मत के भरोसे बैठनें वालों को,
कुछ कर गुजर जाना हैं तुम्हें, ये हुंकार जिन्दा रखो।। #उम्मीद_का_परिंदा
#new_challenge
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 *उम्मीद का परिंदा* 

Any writer can write anything but *remember the rule*