❤️ *पास हो कर भी हम❤️* पास हो कर भी हम अनजाने से है ये रास्ते तेरी मंज़िल के पहचाने से है। मिलोगे तुम किसी मोड़ पर फिर से उसी रंग में,,,, ना जाने क्यों ये ख्याल, दिल को बहलाते से है। जो गए थे तुम उस शाम मेरे हाथ से अपना हाथ खींच कर,,,, वो यादें किसी खत पर हमने उतारे से है। पास हो कर भी हम अनजाने से है।। फिर तुम्हे लेकर चलें कहीं दूर,,,,, मन मे ये अरमान जागे से है। फिर हाथ थाम तुम्हारा बैठे किसी शाम,,,,, झील के किनारे हमे बुलाते से है। फिर से छेडे तुम्हारी जुल्फों को,,,, के उंगलियो में ये अरमान जागे से है। कह दूं तुम्हे की कभी छोड़ेंगे नही हाथ,,,,, गर मानो तो कहने को बहुत अफ़साने से है। गर मिलो एक बार फिर से उसी राह में,,,,, वहां छोड़े हमने कुछ निशाँ से है। पास हो कर भी हम अनजाने से है।। पास हो कर भी हम पास हो कर भी हम अनजाने से है ये रास्ते तेरी मंज़िल के पहचाने से है मिलोगे तुम किसी मोड़ पर फिर से उसी रंग में ना जाने क्यों ये ख्याल, दिल को बहलाते से है जो गए थे तुम उस शाम मेरे हाथ से अपना हाथ खींच कर वो यादें किसी खत पर हमने संभाले से है पास हो कर भी हम अनजाने से है